Followers

Tuesday, 23 May 2017

RADHA PREM.......eds

राधा से कान्हा बोले, तू क्यो है खोई - खोई सी, 
तू क्यो है अभी रोई सी ।

अपने दॆद को शब्दु मे संजो के, राधा बोली, 
दुनिया क्यो रो रही है, प्यार क्यो खो रहा है ।

सूरज की रोशनी तट पे है, 
और फिर भी अंधेरा हो गया है ।

एक रिश्ता नही या हमारा, फिर भी प्यार हम मे या, 
आज रिश्तो ने भी अपना वजूद खो दिया है ।

साथ नही हम, पर एक पवित्रता हमारे बीच है। 
आज रिश्ता होकर भी पवित्रता खो गई है ।

अपने प्यार से उदारण हमने दुनिया को दिया है, 
आज सवॊथ का नाम इसे इन्सानो दिया है।

मै रूठती थी आपसे, ताकी आपकी आंखो मे प्यार ढूंढ सकू, 
आज लोग रूठते है, ताकी अपना स्वाथॆ पूरा कर सके ।

गोपियाँ कई थी आपकी जिदंगी मे, पर मेरा (राधा) का स्थान ऊँचा था, 
आज गोपियो के बीच मे राधा का असि्त्तव ही खो गया है ।

हम अगर दूर होते, हमारी आँखे कर लेती थी बाते सारी, 
आज बात करने का हर जरिया होके भी इंसाऩो ने शब्दो को खो दिया है ।

जिस उम्मीद से मै जोडो को देखती थी, 
वो उम्मीद मैने कही खो दिया है ।

कान्हा ये क्या तेरी दुनिया को हो गया है, 
इंसान क्यो अपने जीवन से प्यार को भूल गया है।

तब कान्हा ने कहा, ॥ मेरी दुनिया आज पैसे की हो गई है । 
रिश्ते नातो को छोङ़ के सोने के भाव को मोल दे रही है॥

No comments:

Post a Comment

THANKS