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Tuesday 3 April 2018

गौरेया बचाओ ...

EDS



कही गयी नही है अपनी प्यारी #गौरैया रूठ गयी है बस ,हमे उसे मनाना होगा देकर थोड़ा दाना पानी प्यार से बुलाना होगा |

 देसी ककून के नाम से मिलने वाला दाना जो पीले सरसो के दाने की तरह दीखता हैऔर पानी गौरैया के लिए अपने छत या मुंडेर पर रखे।

स्कूलों में बच्चो को गौरैया के बारे में जानकारी देनी चाहिए।उन्हें गौरेया सरंक्षण मुहीम चलाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

एक अध्ययन के अनुसार भारत में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रो में गौरैया की संख्या में 60% की कमी आई है जो चिंताजनक है।

जिन चिड़ियों ने साथ दिया, आदिकाल से मानव का
उन चिड़ियों को छोड़ के हमने, रूप लिया है दानव सा


काट दिए पेड़ तिनका2 जोड़ मुश्किलो से चहक कर बालकनी में घोसला बना फिर आज किसी ने सफाई कर उसका घर उजड़ा कही खो न जाये चहक




इन गर्मियों और आती हुयी बरसात में गौरैया को बचाने के लिए आप भी इस प्रकार के लकड़ी के या मिटटी के बॉक्स बनवा सकते है. मोबाइल टावर लकड़ी और मिटटी के अंदर तरंगे नुकसान नहीं करती है.
गौरया बचाओ
                                     

ये अब तक का सबसे सस्ता तरीका है गौरैया को बचाने का.
इसके लिए चाहिए सिर्फ आप का एक घंटा .
आप को सिर्फ ये करना है कि घर में पड़ी २ लीटर वाली कोल्ड ड्रिंक की बोतल को नीचे से काटना है और आधे हिस्से में चिड़िया के लिए खाने का सामान रख ने के लिए और आधे हिस्से को उल्टा रख कर उसमे पानी भरने के लिए और फिर आप को एक डोरी से अच्छे से अपनी बालकनी या छत पर बंधना है. 
ये आप अपनी घर , ऑफिस दुकान कही भी कर सकते है,
और हर सुबह जब आप पानी पिए उसी समय आप उसमे भी पानी दाल दे और जब आप नास्ता करे तब उसमे कुछ दाने दाल दीजिये.



घरेलू गौरैया (पासर डोमेस्टिकस) एक पक्षी है जो यूरोप और एशिया में सामान्य रूप से हर जगह पाया जाता है। इसके अतिरिक्त पूरे विश्व में जहाँ-जहाँ मनुष्य गया इसने उनका अनुकरण किया और अमरीका के अधिकतर स्थानों, अफ्रीका के कुछ स्थानों, न्यूज़ीलैंड और आस्ट्रेलिया तथा अन्य नगरीय बस्तियों में अपना घर बनाया। शहरी इलाकों में गौरैया की छह तरह ही प्रजातियां पाई जाती हैं। ये हैं हाउस स्पैरो, स्पेनिश स्पैरो, सिंड स्पैरो, रसेट स्पैरो, डेड सी स्पैरो और ट्री स्पैरो। इनमें हाउस स्पैरो को गौरैया कहा जाता है। यह शहरों में ज्यादा पाई जाती हैं। आज यह विश्व में सबसे अधिक पाए जाने वाले पक्षियों में से है। लोग जहाँ भी घर बनाते हैं देर सबेर गौरैया के जोड़े वहाँ रहने पहुँच ही जाते हैं।

विवरण
गोरैया एक छोटी चिड़िया है। यह हल्की भूरे रंग या सफेद रंग में होती है। इसके शरीर पर छोटे-छोटे पंख और पीली चोंच व पैरों का रंग पीला होता है। नर गोरैया का पहचान उसके गले के पास काले धब्बे से होता है। १४ से १६ से.मी. लंबी यह चिड़िया मनुष्य के बनाए हुए घरों के आसपास रहना पसंद करती है। यह लगभग हर तरह की जलवायु पसंद करती है पर पहाड़ी स्थानों में यह कम दिखाई देती है। शहरों, कस्बों गाँवों और खेतों के आसपास यह बहुतायत से पाई जाती है। नर गौरैया के सिर का ऊपरी भाग, नीचे का भाग और गालों पर पर भूरे रंग का होता है। गला चोंच और आँखों पर काला रंग होता है और पैर भूरे होते है। मादा के सिर और गले पर भूरा रंग नहीं होता है। नर गौरैया को चिड़ा और मादा चिड़ी या चिड़िया भी कहते हैं।
तो आईये हम सब विलुप्त होतीं गौरैया को बचाने में सहयोग करें।

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